काव्या सो रही थी कि अचानक मेन गेट खुलने की आवाज से उसकी नींद खुली| मोबाइल में टाइम देखा तो सुबह के 4 बजे थे| इस समय तो उसके पति विनय के नाइट शिफ्ट से आने का टाइम होता है| यह सोच वो जैसे ही उठी तभी उसके कानों में उसके ससुर की आवाज पड़ी जो विनय से कह रहे थे "काव्या हमारी दिल से सेवा नहीं करती, सारा दिन अपने कमरे में घुसी रहती है| खाना तो बना कर दे देती है, पर मुझे लगता है वो दिल से यह सब नहीं करती"
उसकी सास ने भी उनकी हां में हां मिलाई| विनय चुपचाप उनकी बातें सुनता रहा| यह देख कर काव्या बाहर ना निकल चुपचाप लेट गई| लेकिन अंदर ही अंदर वह बहुत दुखी हो गई क्योंकि उसके सास ससुर खुद तो कोई काम करते नहीं थे बल्कि उसके 1 साल के बच्चे का भी ध्यान नहीं रखते थे| इसलिए काव्या को घर का काम करने के साथ-साथ बच्चे को भी देखना पड़ता था| उसके सास ससुर आगे पीछे तो उसकी बुराई करते ही थे कभी अपनी बेटियों के साथ, कभी आस पड़ोस में, लेकिन काव्य को आज बहुत अजीब लगा कि सुबह 4 बजे तो कहते हैं अमृतवेला होता है उसमें पूजा पाठ की जाती है ना की चुगली लगाना| कैसे लोग हैं ये बेटा ऑफिस से थका हुआ आया है और ये आते ही बहू की चुगलियां करना शुरू हो गए| जैसे दिन तो निकालना ही नहीं है| काव्या को भी उनसे परेशानी होती लेकिन वो समय देख कर विनय से बात करती ना की इस तरह| यह सब सोचते सोचते काव्या को नींद आ गई|
ऐसा नहीं था कि विनय को अपने मां-बाप की सच्चाई पता नहीं थी पर चाहकर भी वो उनकी सोच नहीं बदल पा रहा था| ना तो वह मां-बाप को छोड़ सकता था ना ही काव्या और अपने बच्चे को| 2 साल में उसके मां बाप ने काव्या का जीना मुश्किल कर दिया| पल-पल उसे एहसास दिलाया जाता कि वह उनकी बेटियों के जैसे उनकी सेवा नहीं करती| काव्या अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती लेकिन वह यह बात समझने को तैयार ही नहीं थे कि बेटी बेटी होती है और बहू बहू| ना जाने उन्होंने अपनी आंखों पर कैसी पट्टी बांध रखी थी जो उन्हें काव्या का नेक दिल दिखाई नहीं देता था| बात बात पर वो काव्या को तो उल्टा सीधा कहते ही थे पर एक दिन उसके ससुर ने काव्या के मां बाप के बारे में उल्टा सीधा बोलना शुरु कर दिया| काव्या यह बात सहन ना कर सकी और उसने सामने आकर उन्हें जवाब दे दिया कि मेरे बारे में आपने अब तक जो कुछ कहा मैंने सहन किया लेकिन मेरे मां बाप के बारे में कुछ कहा तो यह बात मैं बिल्कुल सहन नहीं करूंगी| इतना सुनना था कि काव्या के ससुर उसे थप्पड़ मारने दौड़े लेकिन विनय ने बीच-बचाव कर उन्हें रोका| यह सब देख काव्या ने तुरंत ही विनय को अपना फैसला सुना दिया कि वो अब इस घर में एक पल भी नहीं रह सकती| जिस घर में उसकी व उसके मां बाप की इज्जत ना हो और आज उस पर हाथ उठाने की कोशिश की गई कल को तो ये लोग उसके साथ कुछ भी कर सकते हैं| मैं 2 साल से घुट घुट कर जी रही थी इसी आशा में कि शायद एक दिन ये लोग बदल जाएंगे| लेकिन मैं गलत थी ये लोग कभी नहीं बदल सकते|
ये सब सुन विनय धर्म संकट में पड़ गया एक तरफ मां-बाप थे तो दूसरी तरफ पत्नी और बच्चा| लेकिन उसने यह भी देखा था कि उसकी पत्नी का इतना कसूर नहीं है जितना उसे कसूरवार ठहराया जाता है| इसलिए उसने ना चाहते हुए अपने मां-बाप का घर छोड़ दिया और अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर दूसरी जगह जाकर रहने लगा| धीरे-धीरे उनके रिश्ते थोड़े सामान्य होने लगे तो एक दूसरे से मिलने आने जाने लगे| लेकिन काव्य ने फिर यही महसूस किया जब भी उसके सास ससुर आते थे तो वे विनय को किसी ना किसी बात में भड़का देते थे| धीरे-धीरे करके विनय भी उनकी बातों में आने लगा और काव्या के साथ झगड़ने लगा| एक बार विनय के मां बाप ने उसे काव्या की छोटी सी बात को लेकर बहुत बड़ा झगड़ा करवा दिया कि विनय अपना आपा खो बैठा और उसने काव्या को बहुत बुरा भला कहा व काव्या के भाई को फोन करके काव्या की शिकायतें कर डाली| थोड़ी देर बाद काव्या के पापा का काव्या के पास फोन आया कि तुम्हारा भाई तुम्हें लेने आ रहा है तुम हमारे पास आ जाओ| हम अभी जिंदा हैं हमारे होते हुए तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है| सुनकर काव्या को तसल्ली हुई| लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे यह लग रहा था कि आज अगर वो अपने भाई के साथ चली गई तो हो सकता पीछे से यह लोग विनय को इतना भड़का दें कि वो उससे तलाक ही ना ले ले| वह नहीं चाहती थी कि उसके बच्चे को उसके पिता कि प्यार के बिना रहना पड़े और वह विनय को भी अच्छी तरह जानते थी वो बहुत ही अच्छा इंसान था लेकिन अपने मां-बाप की बातों में आकर उसने इस तरह से व्यवहार किया| वह जानती थी कि आज मां-बाप है जिंदा हैं लेकिन कल को कौन उसका साथ देगा| भाई भाभी अपनी दुनिया में मगन होंगे| वह उन पर बोझ ही बन जाएगी| काफी सोच विचार कर उसने फैसला किया और सबसे पहले तो अपने पिता को फोन किया कि वह आज नहीं आ रही| एक-दो दिन में वह बताएगी कि वह आ रही है या नहीं| इस बीच उसने विनय को अकेले में बात करने के लिए घर के बाहर बुलाया और उसने उसे कोफ साफ कह दिया कि वह इस घुटन भरी जिंदगी में ओर नहीं रह सकती| वह चाहे तो उसे उसके मायके छोड़ दें हमेशा हमेशा के लिए| दोबारा उसे कभी ना मिले| वह अकेली ही अपने बच्चे को पाल लेगी| उसने विनय को कहा कि उसके पापा ने उसे घर बुलाया है पर वो पहले उससे सलाह करना चाहती थी| आज बात आर या पार की है|
यह सब सुन विनय बहुत घबरा गया अपने किए पर बहुत ही शर्मिंदा हुआ| उसने उसी समय काव्या से माफी मांग ली| काव्या ने भी उसे सारी बात बता दी कि कैसे विनय के मां बाप उसके साथ फिर से पहले जैसा बुरा बर्ताव करने लग गए हैं| लेकिन वह उसके सामने जताते हैं कि वह काव्या के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं| तब विनय ने काव्या को कहा कि मुझे एक मौका ओर दो, मैं अब तुम्हारी जिंदगी में कोई परेशानी नहीं आने दूंगा| हर कदम, हर पल तुम्हारा साथ दूंगा| काव्या की सहमति मिलने के बाद वह घर लौट आए| घर आकर विनय ने अपने मां बाप को बुलाया और अपने सामने बैठा कर बात की| काव्या की तरफ इशारा करके उसने बोला, "पापा यह मेरी धर्मपत्नी है| जब से मैंने इससे शादी की है तब से इसके प्रति मेरे भी कुछ कर्तव्य हैं| और मैं अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटना चाहता, मैं जीवन भर इसका साथ निभाऊंगा| अब तो हम लोग अलग-अलग रहते हैं तो फिर ये कलेश क्यों? पापा जिस तरह आपको अपनी पत्नी की परवाह है वैसे ही मुझे भी आपनी पत्नी की परवाह है, और करनी भी चाहिए| मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि आप मेरी गृहस्थी में दखल ना दें| काव्या चाहे कितनी भी दिल से सेवा कर ले वो आपकी बेटी नहीं बन सकती ये बात आप भी अच्छी तरह से समझ लीजिए| आप अपने घर खुश रहिए हमें अपने घर खुश रहने दीजिए| आगे से आपको यहां आने की जरूरत नहीं है| मुझे जब आपसे मिलना होगा तो मैं मिलने आ जाऊंगा| मैं नहीं चाहता कि मेरी पत्नी की वजह से आपको या आपकी वजह से उसे कोई तकलीफ हो|
विनय की बातें सुनकर उसके मां बाप अपना सा मुंह लेकर रह गए|
धन्यवाद
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