घर के काम तो लड़कों को भी आने चाहिए


घर के काम तो लड़कों को भी आने चाहिए #21दिन21ब्लॉग

"मम्मी! आज इंटरनेट की स्पीड स्लो हो गई है, आप पापा को बोलो ना रिचार्ज कर दें। वरना मैं स्कूल के द्वारा आयोजित ऑनलाइन क्लासेज़ में सम्मिलित नहीं हो पाऊंगी।"

"हां मम्मी मेरी भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने वाली हैं। इसलिए पापा से बोलकर आप जल्दी से इंटरनेट रिचार्ज करा दो"।
"हां बाबा हां, अभी बोलती हूं तुम्हारे पापा को।" अनुराधा ने अपने दोनों बच्चों को आश्वस्त करते हुए कहा।
अनुराधा की बेटी अक्षरा जो कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा है और बेटा नमन आठवीं कक्षा में पढ़ता है। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से अनुराधा के दोनों बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई जिससे कि बच्चों की पढ़ाई में देर ना हो।
अनुराधा अभी बच्चों के कमरे से निकली ही थी कि उसकी सास शोभा अपने कमरे से अनुराधा को आवाज़ ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌लगा रही थी।
"क्या हुआ मां जी? आपको कुछ चाहिए"!
"हां बहू वो मेरा चश्मा नहीं मिल रहा है । जरा ढूंढ दो, कहां रखा है।"
हां मां जी मैं देखती हूं ‌। कहकर अनुराधा शोभा जी का चश्मा ढूंढने लगी। शोभा जी के कमरे में चश्मा नहीं मिला तो अनुराधा बाहर आकर चश्मा ढूंढने लगी ।
शोभा जी का चश्मा ड्राइंगरुम में टीवी वाले टेबल पर रखा हुआ मिला। अनुराधा ने चश्मा ले जाकर अपनी सास को दे दिया और ख़ुद रसोई में जाकर सबके लिए नाश्ता बनाने लगी। "पति को बोल उसने इंटरनेट रिचार्ज करा दिया था ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई समस्या उत्पन्न ना हो। बच्चे अपनी अपनी क्लासेज खत्म कर ड्राइंगरुम में आकर टीवी देख रहे थे। कुछ देर में अनुराधा के पति तरूण और सास भी बच्चों के साथ बैठकर टीवी देखने लगे। सबको एक साथ इत्मीनान से बैठा देख अनुराधा को बहुत अच्छा लग रहा था। उनको एक साथ समय बीताता देख अनुराधा सोचने लगी कि "इस लॉकडाउन में एक तो अच्छी बात हुई की पति और बच्चे एक साथ बैठकर टीवी देख रहे हैं"।
सास शोभा जी ने जब से सुना है कि टीवी पर "रामायण और महाभारत फिर से दिखाया जा रहा है तब से वो उसी समय पर आकर टीवी के सामने बैठ जाती थी"। उनका मन रखने के लिए बेटे और पोते, पोती भी उनका साथ दे रहे थे। अनुराधा भी खुश थी कि चलो इसी बहाने बच्चे भी पौराणिक कथाओं के बारे में जान जाएंगे। वरना आज-कल के बच्चों में तो पौराणिक कथाओं को जानने समझने में कोई दिलचस्पी ही नहीं है।
खाने का समय हो गया था अनुराधा ने सबको आवाज़ लगाई, फिर सब लोग बैठ कर साथ में खाना खाने लगे। शोभा जी ने बहू से कहा...बहू इस लॉकडाउन में कामवाली बाई भी नहीं आ रही है जिसके कारण तुम्हारा घर का काम बहुत बढ़ गया है । क्यों नहीं तुम कल से घर के कामों में अक्षरा की मदद ले लेती, "तुम्हें मदद भी मिल जाएगी और इसी बहाने अक्षरा भी घर के काम सीख जाएगी"।
हां मां जी आप सही बोल रही हैं, मैं कल से अक्षरा और नमन दोनों से घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए कहूंगी। अनुराधा की बात सुनकर खाना खाता हुआ नमन रूक गया और पूछा... मम्मी मैं क्यों?? ये सब काम लड़कियां करती है मैं नहीं करूंगा कुछ भी। "हां बहू नमन को क्या जरूरत है घर के काम सीखने की", तुम अक्षरा को सिखा दो वरना ससुराल जाएगी तो उसकी सास ताने देगी कि मां ने बेटी को कुछ सीखाया नहीं।
मां जी अब ऐसा नहीं है कि केवल लड़कियों को ही घर के सारे काम आने चाहिए। "आज-कल लड़के को भी घर का काम आना बहुत जरूरी है"। भविष्य में ज़रूरत पड़ने पर उन्हें किसी का मोहताज ना होना पड़े।
"मां जी आपने मुझे बहुत अच्छा सुझाव दिया है, मैं कल से ही अपने दोनों बच्चों से घर के काम में मदद लेना शुरू करती हूं, मुझे मदद भी मिल जाएगी और इसी बहाने बच्चे घर का काम भी सीख लेंगे।"
"जैसी तेरी मर्जी बहू, जो मन में आए कर"।
अनुराधा ख़ुश हो रही थी कि इस लॉकडाउन के बहाने बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ और भी बहुत कुछ नया सीखेंगे।
दोस्तों, उम्मीद है आपको मेरी कहानी पसंद आएगी। मेरी और भी कहानियां पढ़ने के लिए आप मुझे अवश्य फॉलो करें|




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