औरतें कभी समय पर तैयार नहीं होतीं

औरतें कभी समय पर तैयार नहीं होतीं
गाड़ी अपनी गति से चल रही थी और मधु का मन अपनी गति से| अरविंद लगातार किसी ज्ञानी महात्मा की तरह मधु को प्रवचन दे रहा था| दरअसल आज अरविंद को परिवार सहित कजिन की सगाई में शहर से बाहर जाना था| रात तय हुआ था कि सुबह 9 बजे तक निकल जाएंगे ताकि 11 बजे तक समारोह में शामिल हो सके| अरविंद का अपनी कजिन के प्रति लगाव मधु से भी छिपा नहीं था, पर यह क्या 10 तो गाड़ी की घड़ी में ही बज गए थे| अभी 2 घंटे और लगते समारोह स्थल तक पहुंचने में|
अरविंद का गुस्सा सातवें आसमान पर था! वह इन सब के लिए सिर्फ मधु को दोषी ठहरा रहा था|
"कितना समय लगाती हो तुम तैयार होने में?? ना जाने तुम औरतों को इतना समय क्यों लगता है घर से निकलने में? हम मर्दों को देख लो, शर्ट पहनी, पैंट पहनी, बाल बनाए और तैयार हो गए| और तुम लोग 2 घंटे तक शीशे के आगे सजने सवरने में लगी रहती हो और उसके बाद भी मामूली ही दिखती हो|तुम्हारे कारण ही हर बार देर हो जाती है| टाइम मैनेजमेंट नाम की कोई चीज नहीं है!आगे से मैं अकेला ही जाऊंगा|"
बच्चों के सामने अरविंद का यह रवैया मधु को पसंद नहीं आ रहा था| वह कुछ बोलती तो बात और बिगड़ जाती इसलिए वो चुप ही रही| छोटा बेटा पापा की तेज आवाज सुनकर मां की गोदी में जा सिमटा और बड़े बेटे के बोल 'लेडीज़ कभी टाइम पर रेडी हुई है आजतक? जस्ट चिल डैडी' ने आग में घी का काम किया|
मधु ने एक तीखी नज़र उस पर डाली तो वो इस चर्चा से खुद को अलग कर मोबाइल में गेम खेलने लग गया|
बोल बोल कर अब अरविंदर शांत हो गया था|
उसका पूरा ध्यान जल्दी से जल्दी समारोह स्थल में पहुंचने पर था!
मधु बहुत अशांत हो गई थी उसका दिल भर आया और आंखें भी!
क्यों उसे हर बार यही सुनना पड़ता है कि तुम्हारे कारण मुझे देर हो गई??
तुम इतना समय लगाती हो घर से निकलने में|
मधु अब सोच में डूब गई और सुबह से अब तक की अपनी दिनचर्या पर गौर करने लगी| उन वजहों का पता लगाने लगी जिस कारण उसे देर हुई क्योंकि वह तो सुबह 6:00 बजे ही उठ गई थी!|
उठते ही अपने दोनों के लिए चाय बनाई और बच्चों के लिए दूध बनाया!
अरविंद चाय पीने के बाद अखबार पढ़कर फ्रेश होने चले गए! जबकि उसने फटाफट झाड़ू उठाई और पूरे घर में झाड़ू लगाई क्योंकि बाई को आज उसने छुट्टी दे दी थी! उसके बाद सीधा नहाने चली गई बच्चे अभी भी बिस्तर में लेटे हुए थे! फटाफट बच्चों को उठाया| बच्चों और अरविंद के कपड़े निकालें| अरविंद भूखे पेट घर से नहीं निकलते थे| उनके लिए हल्का-फुल्का स्नेक्स की तैयारी करने लगी!
फिर बच्चों को नहलाया उनको कपड़े पहनाए|
बाथरूम में वाइपर लगाया ताकि बाथरूम में सीलन ना आ जाए!
टॉवल और बाकी गीले कपड़ों को धूप में सुखाया|
बच्चों के लिए रास्ते के लिए थोड़ा सामान पैक किया! सफर में कहीं ज्यादा समय लग गया तो दोनों को भूख लग आती है|
इन सब से फारिक हो कर तैयार होने लगी!
पति और दोनों बच्चों तैयार हो चुके थे!
घड़ी में देखा तो 9 कब के बज चुके थे|
उसने फटाफट साड़ी पहनी| मेकअप किट ब्यूटी प्रोडक्ट्स से भरा पड़ा था पर उसने लिपस्टिक बिंदी और काजल को ही किट से बाहर निकाला|
कितना सामान लाई थी वह तैयार होने के लिए|
पर समय की किल्लत के चलते| वो बस लिपस्टिक बिंदी लगाकर ही खुद को संँवार पाई|
अरविंद की चीखने की आवाज शुरू हो गई थी!
कितने समय से आईने के आगे खुद को निहारे जा रही हो?
कल रात ही मैंने बोल दिया था 9:00 बजे निकलना है??
फिर भी तुम्हारा सजना सवरना खत्म नहीं होता?
तुम औरतें कभी घर से समय से निकाल ही नहीं सकती!
मैं गाड़ी में जा रहा हूं बच्चों को लेकर| सजना सवरना खत्म हो गया हो तो आ जाना!
पैर पटकता वह घर से बाहर निकल गया|
मधु घबराती हुई गाड़ी में जा बैठी|
अरविंद का गुस्सा अभी भी सातवें आसमान पर था|
रास्ते में मिले ट्रैफिक ने अरविंद का मूड और माहौल दोनो और खराब कर दीए| दोनो के बीच रास्ते भर कोई बातचीत नही हुई| मधु अपनी ही सोच में मग्न थी| अरविंद ने गाड़ी समारोह स्थल पर लगा दी और पैर पटकते होए अंदर चला गया| मधु भी बच्चों को लिए चुपचाप उसका अनुसरण करती गई|
1 महीने बाद फिर अरविंद को अपनी कजिन की शादी के बाकी फंक्शन में जाना था| अरविंद बीती बाते भुल चुका था| पर शायद मधु नही| | कल सुबह 9 बजे हम निकलेंगे| 3 घंटेे लगेंगे हमें पहुंचने में| किसी कंपनी के बॉस की तरह कर्मियों को जरूरी निर्देश देकर अरविंद सोने चला गया|
मधु फिर वोही 6 बजे उठ गईं| उसने अपनी और अरविंद की चाय बनायी बच्चों को उठाकर दूध दिया|
पति और बच्चों ने अभी भी बिस्तर नही छोड़ा था क्योंकि उन्हें पता था उन लोगों को तैयार होने में आधा घंटा ही लगेगा|
मधु नहाने चली गई| नहाते ही किचन की बजाए तैयार होने लगी|
मम्मी आप रेडी हो गयी हमें कौन तैयार करेगा??बड़े बेटे ने कहा|
पापा करेंगे| मैं क्यों??| अरविंद ने मधु को बीच में टोका|
मुझे ज्यादा समय लगता है ना हमेशा, तो सोचा आज मैं समय से तैयार हो जाऊं|
अरविंद आप बच्चों को तैयार करके खुद तैयार हों जाना और हां बाथरूम में वाइपर जरुर कर देना|| सबके गीले टॉवेल बालकनी में सुखा देना| छोटे के लिए रास्ते में खाने के लिए कुछ समान रख लेना| अपने लिए ब्रेड बटर लगा लेना| और जब नीचें आओ तो पूरा घर चैक करके लाइटस ऑफ करके घर अच्छे से लॉक करके आना| मधु ने एक लंबी सांस छोड़ते होए सारे निर्देश अरविंद को दे दिये| और खुद सज संवर कर बैग उठाकर नीचे चली गई| अरविंद को एकाएक कुछ समझ नही आया आज मधु को हुआ क्या है| ?? ये अरविंद की आत्मा आज मधु में से आ गई| वो सकपका सा मधु को जाता देखता रहा| वो उसके निर्देशो को पूरा करने में लग गया| हालांकि ये सब उसके लिए कोई निर्देश नही थे| ये तो वो काम थे जो कही जाने पर मधु ही करती आई है| पर आज अरविंद को करने पड़ रहे है| वो फटाफट काम खत्म करने में जुट गया| अभी तो उसका नाश्ता बाकी था| रास्ते में ही खा लूँगा कुछ| अरविंद ने सोचा और फटाफट घर बंद कर गाड़ी की और रवाना हुआ| मधु पहले ही गाड़ी में बैठी हुई थी| थोड़ी डरी थी| पहली बार इतनी हिम्मत जो उसने की थी| पर चेहरे के भाव नही बदले| आज अरविंद के गुस्से का शिकार वो नही बनेगी|
अरविंद चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गया| एक नज़र मधु को देखा| उसका सारा गुस्सा काफ़ूर|| कितनी सुंदर जो लग रही थी वो| किसी नवेली दुल्हन जैसी एक दम तैयार| आत्ममुग्ध सा वो मधु को निहारता रहा| पर शब्दों की न्यूनता ही रही|
गाड़ी में लगी घड़ी की सुई ने 10 बजा दिये थे| अरविंद सकपकता हुआ घड़ी को देख रहा था| मधु ने अरविन्द को देखकर व्यंग्यात्मक हँसी हसी| सगाई में जाने में देर होने का सारा इन्ज़ाम उसने मधु को दिया था आज खुद के कारण देरी हो गई तो एक दम शांत हो गया|| अरविंद झेप सा गया|
अरविंद अचानक मधु के स्वभाव में आये बदलाव का कारण अच्छे से जान गया था| पर मधु के सामने सामान्य ही रहा|
पर बच्चें तो बच्चें ही ठहरे आते ही मम्मी के सामने अपनी शिकायतों की पोटली खोल दी|
ऐसा कोई करता है मम्मी? पापा को कितना काम हो गया था|| वो तो ढंग से नहलाना भी नही आता| देखो कितना तेल लगा दिया सर में| अब सब मेरी हँसी उड़ायेंगे| छोटा वाला भी तुरंत रो कर अपनी नाराजगी जताने लगा|
मधु ने अब चुप्पी तोडी| जिसका इंतज़ार शायद अरविंद को भी था आखिर वो मधु के मुँह से सब सुनना चाहता था| बोली बेटा मेरी क्या गलती??याद है तुझे निशा बुआ की सगाई में क्या बोल था तूने 'लेडिज कभी टाइम पर तैयार होती है|
बेटा लेडीज़ टाइम पर तुम लोगो के कामो के चक्कर में रेडी नही हो पाती| हमेशा सबसे पहले उठती हूँ मैं, फिर भी अपने लिए बमुश्किल आधा घंटा निकाल पाती हूँ| बाकी तो तुम लोगों का काम ही खत्म नही होता| फ़िर भी मुझे इतनी नाराज़गी सहनी पड़ी है| तो सोचा आज तुमको भी ये एहसास करवाया जाए क्यों हम औरते समय से घर से नही निकाल पाती| गाड़ी में एक दम सन्नाटा हो गया| पर मानो मधु का दिल हल्का हो गया हो| सॉरी मम्मी आप सही कह रही हो| आपको आपके कारण नही हमारे कारण लेट होता है| अरविंद जो कब से चुप बैठा था| एकाएक मधु का हाथ पकड़कर बोला| आज आधे घंटे में मुझे तुमने दादी नानी याद दिलवा दी|
गलती मेरी भी है, गुस्सा करने की जगह तुम्हरा साथ देता तो कहीं भी समय से पहुँच सकते हैं हम|
मधु ने प्यार भरी नज़रो से अरविंद को देखा और अपने बैग में से टिफिन निकल कर अरविंद को दे दिया|
"इसमें क्या है?"
"मुझे पता है तुम कुछ खाकर नही आये होगे, तुम लोगों के उठने से पहले ही मेने ये स्नैक्स तैयार कर लिए थे"|
"क्या कहने तुम्हारे? अरविंद आगे कुछ बोलता इससे पहले मधु ने उसके मुंह में स्नैक्स भर दिया|






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